वामपंथ और दक्षिण पंथ की जंग में विश्वास हारता सोशल मीडिया

क्या आप जानते हैं कि हान जनजाति पूरी दुनिया का 18 प्रतिशत भाग है, दुनिया के सबसे गलीज और गंदे लोग जिन्होंने भारतीय समुदाय की तुलना में बाद में आज़ादी प्राप्त की लेकिन अपने देश चीन में विकास के साथ औद्योगिक और आर्थिक समृद्धि से अविश्वसनीय परिणाम अर्जित किये। कारण सिर्फ दमनकारी शासकों का राष्ट्रप्रेम जिसने गलत को गलत कहा और गलत व्यक्ति को उचित रुप से दंडित भी। 

अपने देशवासियों के विद्रोह को दबाने के लिए सड़कों पर टैंक दौड़ा देने वाला चीन, कभी किसी बड़े अविष्कार या खोज के लिए खबर नहीं बन सका लेकिन उसने चोरी और नक़ल में अपनी एक प्रतिष्ठा विकसित की है। कोरोना वायरस को चमगादड़ खाकर पैदा कर सम्पूर्ण मानव जाति के लिए खतरा बने इस निखट्टू देश ने अपने उद्योग और उससे उत्पन्न सम्पन्नता से आज विश्व के सबसे शक्तिशाली देश का तमगा अमेरिका के पास ही रहने दिया लेकिन खुद विश्व की प्रमुख आर्थिक महाशक्ति बन गया। अमेरिका और यूरोप की टेक्निक चोरी करने से लेकर अपने खुद के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बनाने तक चीन ने सब कुछ किया। अपनी विस्तारवादी सोच से सामरिक महत्त्व की जमीनों पर कब्ज़ा करने में सबको पीछे छोड़ दिया। अमेरिका जहां ईराक़, लीबिया और अफगानिस्तान में उलझा रह गया वहीं चीन अर्थ जगत का बादशाह बना। ये चमगादड़ का शत्रुदेश हर प्रमुख अमेरिकन कंपनी को अपने देश में फैक्टरी लगाने बुला लाया। 

अपने देश में चीन ने हर प्रमुख फैक्टरी को लाने वाले चीन ने इसके विपरीत सॉफ्टवेयर कम्पनीज को आने नहीं दिया। व्हाट्सप्प की जगह वीचैट और क्रोम की जगह यू सी ब्राउज़र चलाया, ट्विटर की जगह अपना खुदका प्लेटफार्म वीबो पर इतराते चीन ने लेकिन यूरोपियन और अमेरिकन न्यूज़ एजेंसीज और इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगातार दबाव और पैसे बनाये रखा। 

हर प्रकार के प्रलोभन से वामपंथ ने इस विश्व को दिग्भ्रमित रखा और ये ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी और जकरबर्ग, बोइंग, माइक्रोसॉफ्ट और ऊबर जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों की ग्लोबल कोर वैल्यूज और सर्वधर्म समभाव के झूठ से भी पर्दा उठ गया। प्रेजिडेंट ट्रम्प के खिलाफ 'नॉट माह प्रेजिडेंट' कैंपेन हो या 'साल में इतना झूठ बोलने वाला राष्ट्रपति' जैसी खबरें चलाने वाला मेनस्ट्रीम मीडिया, सबने एक हवा बनाये रखी जिसमे ट्रम्प को विश्व शांति के लिए खतरा बताया जाता रहा, जबकि दुनिया के तमाम देशों को बारूद की गंध से नहलाने वाले ओबामा को शांति का कबूतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी। सैकड़ों करोड़ लोगों के दिमाग से खेलने वाले सोशल मीडिया ने पूरे 4 साल की मेहनत के बाद हैशटैग ब्लैक लाइव मैटर्स जैसा कैंपेन चला सड़कों पर लूटपाट करा उसके सही साबित कर दिया।

ट्रम्प का अकाउंट ससपेंड होने की वजह गलत बताई गयी। असली वजह है कि ट्रम्प ने पहली बार "इस्लामिक आतंकवाद" शब्द प्रमुखता से उच्चारित किया। ट्रम्प ने सबसे पहले इतनी स्पष्टवादिता के साथ पाकिस्तान पर फरेबी होने का आरोप लगाया। कहा कि हम पाकिस्तान पर आर्थिक सहायता में कटौती करते हैं। चीनी वायरस को चायनीज़ वायरस कहा, वुहान वायरस शब्द कॉइन किया। चीन का इससे ज्यादा मजाक किसी अमरीकी राष्ट्रपति ने नहीं उड़ाया था। इसलिए अमेरिका के हिट में अफगानिस्तान से फौज को वापस बुलाने वाले और मीडिया को झूठी मीडिया कहने वाले ट्रम्प को ये दुर्दिन झेलने पड़े। 

2018 में अमेरिकन कांग्रेस के सामने बैठे जैक डोर्सी को झूठा और पक्षपात करने वाला कहा गया। अमूमन ये देखा भी गया है कि यदि कोई यूजर थोड़ा सा भी वामपंथ और आतंकवाद की निंदा करने ट्विटर को उठाता है, उसके अकाउंट को ससपेंड कर दिया जाता है। हिंसा और यौन अपराधों के रोकथाम के लिए उपायों की बात करने वाले यूट्यूब और गूगल पर ऐसे तमाम अकाउंट और चैनल आपको इस सबको प्रचारित और प्रसारित करते मिल जाते हैं। तमाम वोटर्स के मन को वामपंथ की और झुकी ख़बरों को ज्यादा प्रसारित करके और सच बोलने वाले लोगों की फेसबुक ये लेकर यूट्यूब तक पर रीच को काम कर दिया जाना कोई नयी बात नहीं है। 



पूरे विश्व में अपनी सामानांतर सरकार चलाने वाले इन ट्विटर और फेसबुक के साथ गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी वाम आधारित पक्षपाती कंपनियों को मनमानी करने से रोके जाने की जरुरत है। पहले भी भारतीय संसद में इन कम्पनीज के ऊपर डाटा चोरी करने के इल्जाम लगे हैं और अब नयी व्हाट्सप्प प्राइवेसी पालिसी में तो स्पष्ट कर दिया गया है कि कंपनी आपका डाटा अपनी मदर कंसर्न फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ साझा करेगी। मतलब आपके परिवारिक फोटोज से लेकर अपने किस इंसान से क्या बात की, क्या सर्च किया, किस कंटेंट को कितने लोगों को भेजा। मतलब आपकी हर हरकत पर इन विदेशी कम्पनीज की नजर रहेगी, जिसकी इजाजत लोकतंत्र के इस महान देश भारत में जनता, किसी सरकार को भी नहीं देना चाहती। 



प्रिय व्हाट्सप्प और जकरबर्गवा, सिलिकॉन वैली में बैठ कर किसी लंगूरी ट्रम्प का अकाउंट ससपेंड करना तुम्हारे लिए खेल रहा होगा। ये भारत है, यहाँ के लड़के अपने को अपने फ़ोन में तांकझांक ना करने देते। लॉक लगा रखते हैं हर एप्लीकेशन पर। अब अगर किसी दिन मन की बात में मोदी जी ने कहा की प्यारे देशवासियों, अपना फेसबुक और ट्विटर होना चाहिए या नहीं होना चाहिए, तभी तक मौज है तुम्हारी, क्यूंकि अब भारत बदल के दुनिया की ड्राइविंग सीट पर आने की तैयारी में है। कोरोना के नए स्ट्रेन को सबसे पहले उसकी जेनेटिक मैपिंग भारत ने ही की है और गूगल को भी हम ही चला रहे हैं, नासा से इंटेल तक हम हैं तो तुम हो, और हाँ वो जिस विजया गड्डे ने चचा ट्रम्प का अकाउंट ससपेंड होने की फाइनल कॉल ली, है तो वो भी हमारी ही बेटी। चलो अब इंतज़ार रहेगा मन की बात और प्यारे देशवासियों का जिसमे कहा जायेगा की आज रात 8 बजे के बाद से हमारे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स होंगे और ट्विटर से फेसबुक और इंस्टाग्राम से गूगल भारत तक बैन हैं। 

खैर इस दक्षिण पंथ के अकाउंट सस्पेंशन का भरी आरोप झेलते इन पक्षपाती कंपनियों की सफाई चाहे जितनी साफ हो या न हो, विश्वास तो चरमराकर प्राण त्यागने ही वाला है। 

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