वाट्सएप प्राइवेसी पौलिसी और हमारे विश्वविद्यालयों के लिए कुछ सीख

आपने बडे बुजुर्गों से चार युगों के बारे में सुना होगा । सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और अंतिम कलियुग, किंतु इसके आगे के युग के बारे में आपने नहीं सुना होगा, सुना हो तो ध्यान नहीं गया होगा। वो पाँचवा युग है डिजिटल युग। ये जीवन को सरल करने और उद्देश्यों की त्वरित प्राप्ति में बहुत सहायक है। तकनीक और मशीनों के इस्तेमाल से हमने रोबोटिक सर्जरी और मानव रहित गाड़ी की परिकल्पना तक कर मंगल गृह पर जीवन की संभावनाओं में भी सार्थकता तलाशनी शुरु कर दी है। 

इसी बीच सूचना प्रौद्योगिकी के इस नवीन डिजिटल युग में इंस्टेंट मेसेजिंग एप जैसे वॉट्सएप ने हमारे जीवन में दस्तक दे अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका बना संवाद को आसान और सुगम कर दिया। इतना कि फेसबुक ने अपने मेसेंजर को खतरे में देख इसे ना केवल खरीद लिया, अपितु अपनी मेसेंजर में भी आमूलचूल परिवर्तन किये। 

इसी बीच लगातार बढ़ते उपयोग और अपार सफतला के शिखर पर बैठ इन सूचना प्रौद्योगिकी दिग्गज कंपनियों ने तमाम देशों की राजनीति की दशा और दिशा निर्धारित करनी शुरु की। कहा गया कि मोदी जी की 2014 में भारत विजय में इन कंपनियों का बहुत बड़ा योगदान था। 

फेसबुक न सिर्फ एक सोशल मीडिया स्तंभ था लेकिन व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन बैठा। अकेले भारत में 40 से 50 लाख लोग इसका उपयोग क्रय विक्रय के लिए करने लगे। वाट्सएप और इंस्टाग्राम को खरीद लिया गया। 

लेकिन कुछ दिन पूर्व वाट्सएप ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में कुछ परिवर्तन कर अपने उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी साझा करने का एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इसमें यकीनन चिंतित होने की बात भी थी सो लोगों ने इसको उपयोग से हटाना भी शुरु कर दिया है। 




यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि इससे हमें क्या? हमारा डाटा इतना जरुरी क्यूँ है इतनी बड़ी किसी सिलीकन वेली में बैठी कंपनी के लिए। तो जवाब है कि फेसबुक को आपके डाटा में चाहिए क्या? उसमें है कि आप अपने फोन में ब्राउज़र पर सर्च क्या करते हैं? आपकी फाइनेंशियल हेल्थ कैसी है, मतलब अकाउंट में पैसे कितने हैं, डिजिटल लेनदेन कितने का होता है, आप कहाँ कहाँ जाते हैं, किसी से चैट करते हैं तो उसमें किसी प्रोडक्ट को डिस्कस करते हैं क्या??

ये सारी प्रोसेस डाटा माइनिंग और डाटा साइंस के अंतर्गत आती है, इसमें टियर 2 और टियर 3 में पढ़ने वाले बच्चों को फेसबुक और व्हाट्सएप ने एक क्लीयर लेकिन छुपा हुआ मेसेज दिया है। वो मेसेज है कि अगले 50 साल दुनिया पर एक ही बादशाह राज करेगा और वो होगा डाटा। जिस कंपनी के पास जितना डाटा होगा, उतना ज्यादा उसका मुनाफा होगा। वो आपका डेमोग्राफी देखकर आपके वोटिंग पैटर्न समझेगी और अपने मनमाफिक उम्मीदवार को जिता भी देगी। 

जो देश, समाज और व्यक्ति विशेष इस मेसेज को समझ अपने स्नातक और परास्नातक स्तर पर डाटा साइंस और इससे संबंधित विषयों की पढाई करेगा, वही इंप्लॉयबल होगा। इन कंपनियों की मोनोपॉली तोड़ने और अपने समाज को इन नवागंतुक ईस्ट इण्डिया कंपनियों से बचाने का यही सारगर्भित तरीका भी है कि हम भी इस नवीन और रुचिकर विषय में रुचि दिखा इसको समझें और इसका जवाब तैयार करें। 


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